Thursday, March 15, 2012

जिसे देखो दुहाई देता है...क्यूँ कोई किसी को रुसवाई देता है...
चाहत के नाम पे हर कोई क्यूँ इन्तेहा लेता है....

आज तो दिल कौरियों के दाम बिकता है...जिसे देखो आज मोहब्बत नीलाम करता है...
जुआ खेलते है मोहब्बत के नाम पे क्यूंकि कुछ तो मोहब्बत को भी खेल समझते है...

लोग यंहा पत्थर का दिल लेकर बैठे है, आंसुओं को भी सिर्फ पानी समझते है....
दिल की जस्बातों को क्या समझेंगे जो खुद मोहब्बत को दूर जाने पे मजबूर करते है....

ख्वाइश.....

एक ख्वाइश अधूरी सी रह गई..ये ज़िन्दगी एक पहेली सी बन गई...
जिसे मंजिल के तरफ रुख किया,वो मंजिल भी एक अजनबी सी थी..

उड़ने की तमन्ना अब टूट सी गई..जैसे हर खुशी आज हमसे रूठ सी गई...
बेनाम गलियों को चाहने लगे थे,आज आँखें खुली तो वो चाहत भी धुधली सी थी...

ख़ुशी मिले मुदततें हो गई.. तलाश ऐसी की ज़िन्दगी भी अब बेमानी सी हो गई...
उसे अपना बनाया जिसने हमे न दिल से अपनाया,कहने क लिए उसने मोहब्बत ही क्यूँ की थी....!!

Monday, January 16, 2012

मैं !

लोग मेरे अल्फाजो को समझते नहीं...
क्या हूँ मैं अभी इससे वो वाकिफ नहीं...
कर गुजरती हूँ वो जो लोग सोचते नहीं...
ये दिल आइना है फिर भी इसका कोई चेहरा नहीं...

कहने को पहेली नहीं...मैं इस दुनिया में अकेली नहीं....
बेखबर हूँ पर गुमनाम नहीं..इस मन में कोई खौफ नहीं..
नादान सही मैं, पर खामोश नहीं,क्यूंकि अब कोई उमंग नहीं ...
अतीत भूल आगे बढ़ी साथ सही है लोग वही पर फिर भी अब कोई आस नहीं...

Monday, December 26, 2011

सच है फिर या फिर कोई सपना....!

आज कुछ ख़ास है, फिर वही एहसास है...
ये आहट ही कुछ ख़ास है..

बदल रहे है हम, या बदला हालात है ...
जो भी है, दिल के पास है..

उमंगो को सजाता हुआ, दिल को गूद गुदाता हुआ...
शायद ज़िन्दगी में ,आता हुआ कोई पास है...

हलचल मचाता हुआ, दिल को बहलाता हुआ...
दिल न टूटे अब अपना ,न हो चूर कोई सपना..

इस दिल के है ये अरमान, अब न करे कोई रुसवा..
हमे भी मिले वो ,जो दिल को दिखा रहा है खवाब इतना..

मासूम सा दिल देख रहा क्यूँ ख्वाब, क्यूँ आज मन में उठ रहा है ये सवाल...
क्या लौट आयेंगे वो दिन क्या सच में ये ख्वाब नही, ये है आता हुआ कल...

Saturday, December 17, 2011

ज़िन्दगी...!

ज़िन्दगी से गिला नहीं उनको... जिन्हें इस जिंदगी से कुछ मिला नहीं...
चाहत भी है पर इस चाहत की कोई मंजिल भी नहीं...
लफ्ज़ खामोश है शायद अब कोई आस नहीं...
जीने की खवाइश तो है, पर देखने के लिए कोई ख्वाब भी नहीं...
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कहीं दूर कोई डगर भी नहीं, जाऊं कहा कोई मंजिल भी नहीं...
रास्ता अगर जो दिख जाये तो चलूँ मैं, चलने के लिए कोई संग भी नहीं...
जो हमे समझले कोई ऐसा मिला नहीं....रोकर भी ये गम जाते नहीं...
अपनी इस चाहत को दवाऊं भी कैसे हम भी तो इंसान है कोई भगवान नहीं...

मोहब्बत.. !

क्या बताऊँ उन्हें खोने का गम कितना है...
कैसे दिखाऊं इस दिल में मोहब्बत कितना है...
लाखो अरमान मन में दवाकर,उन्हें जाने को कह दिया..
वो क्या जाने उनके जाने से ये दिल उदास कितना है...
रूठ गये हम, और वो मुह फेरकर चल दिए..
इस बात से हम उनसे कफा भी न रह सके...
काश उन्हें अंदाजा होता हमारे टूटे हुए इस मन का...
तब शायद वो समझते हमारे दिल का...
न वो इंतज़ार है न शिकायत, न हम उनसे कफा है...
टूटे हुए दिल की सिर्फ एक ही दुआ है...
हमे भी कोई ऐसा हमराह मिले...जिसे हम भी हमसफ़र कह सके...
जो छोड़ न जाये बीच रास्तें में...हर राही को उसकी मंजिल मिले...!

Saturday, November 19, 2011

वो बचपन !

छोटी छोटी बातें, वो दिन और वो रातें..
अनजान हर डर से बेखवर थी वो मासूम चाहते...
न कोई फिकर था संग न था दिल टूटने का डर...
बस था तो आज न था कोई कल....
कोई न था ऐसा जिससे दिल दुखता था...
न रूठता था कोई हमसे न था किसी को खोने का डर...
मनचाही थी वो ज़िन्दगी, वो बचपन वो गुजरा हुआ कल...
राह में न काटें थे न थी कोई चुभन...
बेखवर थे हम था,तो बस अपनों का ही संग...
किसी अजनबी की न आहट थी न था कोई हमसफ़र...
था तो बस एक नन्हा सा बच्पन्न...
न सच था न कोई झूठ, कहलाते थे हम भगवान का स्वरुप...
हर खोफ से थे दूर साथ था बस अपनों का प्यर भरपूर...