एक ख्वाइश अधूरी सी रह गई..ये ज़िन्दगी एक पहेली सी बन गई...
जिसे मंजिल के तरफ रुख किया,वो मंजिल भी एक अजनबी सी थी..
उड़ने की तमन्ना अब टूट सी गई..जैसे हर खुशी आज हमसे रूठ सी गई...
बेनाम गलियों को चाहने लगे थे,आज आँखें खुली तो वो चाहत भी धुधली सी थी...
ख़ुशी मिले मुदततें हो गई.. तलाश ऐसी की ज़िन्दगी भी अब बेमानी सी हो गई...
उसे अपना बनाया जिसने हमे न दिल से अपनाया,कहने क लिए उसने मोहब्बत ही क्यूँ की थी....!!
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