Monday, December 26, 2011

सच है फिर या फिर कोई सपना....!

आज कुछ ख़ास है, फिर वही एहसास है...
ये आहट ही कुछ ख़ास है..

बदल रहे है हम, या बदला हालात है ...
जो भी है, दिल के पास है..

उमंगो को सजाता हुआ, दिल को गूद गुदाता हुआ...
शायद ज़िन्दगी में ,आता हुआ कोई पास है...

हलचल मचाता हुआ, दिल को बहलाता हुआ...
दिल न टूटे अब अपना ,न हो चूर कोई सपना..

इस दिल के है ये अरमान, अब न करे कोई रुसवा..
हमे भी मिले वो ,जो दिल को दिखा रहा है खवाब इतना..

मासूम सा दिल देख रहा क्यूँ ख्वाब, क्यूँ आज मन में उठ रहा है ये सवाल...
क्या लौट आयेंगे वो दिन क्या सच में ये ख्वाब नही, ये है आता हुआ कल...

Saturday, December 17, 2011

ज़िन्दगी...!

ज़िन्दगी से गिला नहीं उनको... जिन्हें इस जिंदगी से कुछ मिला नहीं...
चाहत भी है पर इस चाहत की कोई मंजिल भी नहीं...
लफ्ज़ खामोश है शायद अब कोई आस नहीं...
जीने की खवाइश तो है, पर देखने के लिए कोई ख्वाब भी नहीं...
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कहीं दूर कोई डगर भी नहीं, जाऊं कहा कोई मंजिल भी नहीं...
रास्ता अगर जो दिख जाये तो चलूँ मैं, चलने के लिए कोई संग भी नहीं...
जो हमे समझले कोई ऐसा मिला नहीं....रोकर भी ये गम जाते नहीं...
अपनी इस चाहत को दवाऊं भी कैसे हम भी तो इंसान है कोई भगवान नहीं...

मोहब्बत.. !

क्या बताऊँ उन्हें खोने का गम कितना है...
कैसे दिखाऊं इस दिल में मोहब्बत कितना है...
लाखो अरमान मन में दवाकर,उन्हें जाने को कह दिया..
वो क्या जाने उनके जाने से ये दिल उदास कितना है...
रूठ गये हम, और वो मुह फेरकर चल दिए..
इस बात से हम उनसे कफा भी न रह सके...
काश उन्हें अंदाजा होता हमारे टूटे हुए इस मन का...
तब शायद वो समझते हमारे दिल का...
न वो इंतज़ार है न शिकायत, न हम उनसे कफा है...
टूटे हुए दिल की सिर्फ एक ही दुआ है...
हमे भी कोई ऐसा हमराह मिले...जिसे हम भी हमसफ़र कह सके...
जो छोड़ न जाये बीच रास्तें में...हर राही को उसकी मंजिल मिले...!